परमार्थ निकेतन में श्रीमद् भगवत कथा का शुभारम्भ
एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
ऋषिकेश, 2 मई। परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के पावन तट पर रामेश्वर बापू हरियाणी की वाणी में श्रीमद् भगवत कथा का शुभारम्भ हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारम्भ किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देश के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि ऋषिकेश की धरती संयम की धरती है और संगम की धरती है। उत्तराखंड साधना की भूमि है और उपासना की भूमि है। उत्तराखंड आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है, यह अध्यात्म और आनन्द की भूमि; शान्ति और शक्ति की भूमि है। हमारा उत्तराखंड स्विट्जर लैण्ड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी है क्योंकि यहां पर माँ गंगा है और हिमालय है। उत्तराखण्ड योग, अध्यात्म, अपार जल से युक्त नदियांे और प्राणवायु आॅक्सीजन से समृद्ध राज्य है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों से श्रद्धालु और पर्यटक माँ गंगा के पावन तट पर आकर योग, ध्यान एवं साधना करते हैं। यह प्रदेश अपार शान्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला है। पूरी दुनिया को इनरपावर आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला राज्य है।स्वामी जी ने कहा कि कथा के श्रवण से जीवन में सद्गुणों का समावेश होता है। दूर्गुण एवं अशुद्धि चाहे बाहर की हो या आंतरिक उसके शुद्धिकरण के लिये कथा और सत्संग सबसे उपयुक्त मार्ग।स्वामी जी ने कहा कि आप सभी जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी और जीविकादायिनी माँ गंगा के पावन तट पर श्री रामेश्वर बापू हरियाणी जी के श्रीमुख से श्रीमद् भगवत कथा का श्रवण कर रहे हैं। यहां से आप अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति का संदेश लेकर जायें। यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़ते रहे तथा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न करें।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा के सम्मान में हरित और पर्यावरण को समर्पित कथा का संकल्प कराया। श्री रमेश भाई भरवाड, अंबिका युवक मित्र मण्डल द्वारा आयोजित सात दिवसीय कथा का शुभारम्भ हुआ।