अपनी प्रतिभा को नियमित रूप से करें परिष्कार : शैलदीदी

भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
हरिद्वार २१ जुलाई। शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने आज शांतिकुंज परिसर में आयोजित बहिनों की विशेष संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक महिला को अपनी प्रतिभा का नियमित रूप से परिष्कार करते रहना चाहिए। श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने और उत्तरदायित्वों को सफलतापूर्वक निभाने के लिए नित्य कुछ नया सीखने का अभ्यास आवश्यक है। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, बस सतत अभ्यास और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। स्नेहसलिला श्रद्धेया दीदी कहा कि उन्हें भविष्य में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ संभालनी हैं, जिसके लिए आज से ही मानसिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से तैयार होना जरूरी है। श्रद्धेया शैलदीदी ने गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा के तप, साधना एवं सेवा भाव को प्रेरणास्रोत बताते हुए उनके जीवन की विस्तृत झलकियाँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने बताया कि वंदनीया माताजी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों का भरपूर सहयोग किया और बाद में गायत्री तपोभूमि, मथुरा में हजारों साधकों का मार्गदर्शन कर उन्हें आत्मिक दिशा दी। श्रद्धेया दीदी ने कहा कि वर्ष २०२६ में माताजी का जन्मशताब्दी वर्ष मनाया जाएगा। इस उपलक्ष्य में जनवरी एवं नवंबर में बड़े आयोजन होने हैं, जिनमें बहिनों को भी भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। इस अवसर पर शांतिकुंज की समस्त बहिनें उपस्थित रहीं।
देसंविवि का ४५वाँ ज्ञान दीक्षा समारोह कल
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि विवि ४५वाँ ज्ञान दीक्षा समारोह २२ जुलाई को होगा। इस समारोह में भारत के उत्तराखण्ड, मप्र, बिहार सहित अनेक राज्यों के नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं को दीक्षित किया जायेगा। विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि ज्ञान दीक्षा समारोह विद्यार्थियों को मातृभूमि व संस्कृति के लिए समर्पित होने के लिए कराया जाने वाला यह एक अनुपम पर्व है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बाबा मस्तनाथ विवि रोहतक के कुलाधिपति महंत बालकनाथ योगी जी उपस्थित रहेंगे। वहीं देसंविवि के कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी नव प्रवेशी विद्यार्थियों को संकल्पित एवं दीक्षित करायेंगे।