एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
देहरादून, 28 नवंबर। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को देहरादून के एक स्थानीय होटल में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर श्रीमती लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘Swallowing The Sun’ का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान श्रीमती पुरी द्वारा लिखित पुस्तक के संबंध में प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक माँ को समर्पित है, जिसमें हमारे देश की बहुमूल्य सांस्कृतिक विरासत के साथ ही अपने विचारों और धारणा को कैसे मजबूत बनाएं इस पर भी प्रकाश डालती है। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए आह्वान ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ के लिए आमजन का आह्वान करते हुए कहा कि हमें भी अपनी माँ के लिए कुछ अवश्य करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि इस उपन्यास के माध्यम से, उन्होंने न केवल अपनी विरासत का सम्मान किया है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की वैश्विक समझ में भी योगदान दिया है। रचनात्मक कहानी कहने के साथ ऐतिहासिक सटीकता को संतुलित करने की उनकी क्षमता सराहनीय है, और मुझे यकीन है कि ‘Swallowing The Sun’ दुनिया भर के पाठकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाएगी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक कथा साहित्य का एक काम है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों पर प्रकाश डालता है। हमारे भारतीय इतिहास के प्रति जुनूनी और हमारे देश की विरासत का गौरवशाली संरक्षक, मैं किसी भी ऐसे प्रयास को बहुत महत्व देता हूँ जो हमारी स्वतंत्रता के लिए किए गए बलिदानों को फिर से दर्शाता है और उनका जश्न मनाता है।राज्यपाल ने कहा कि यह एक उपन्यास से कहीं बढ़कर है। यह कई मायनों में एक श्रद्धांजलि है – उन साधारण पुरुषों और महिलाओं को सलाम जिनके असाधारण साहस ने भारत की स्वतंत्रता की कहानी को आकार दिया। इस पुस्तक को पढ़ते हुए, मुझे व्यक्तिगत स्मृति, पारिवारिक इतिहास और राष्ट्रीय गौरव की कहानी मिली। मुख्य पात्र लड़कियाँ होने से कहानी में और भी गर्व की भावना आती है, क्योंकि वे दो बहनों के व्यक्तिगत संघर्षों का वर्णन करती हैं और औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों से मुक्त होने के लिए एक राष्ट्र की सामूहिक तड़प को भी समेटती हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के रूप में, मुझे हमारी विरासत को संरक्षित करने और हमारे युवाओं को हमारे अतीत के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से कई पहलों में शामिल होने का सौभाग्य मिला है। महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, यह हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संग्राम केवल पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र नहीं था। महिलाएँ भी प्रतिरोध की मशालवाहक थीं, जो अक्सर औपनिवेशिक उत्पीड़न, सामाजिक मानदंडों और पितृसत्तात्मक बाधाओं के खिलाफ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ती थीं। उपन्यास केवल घटनाओं का वर्णन नहीं करता है, यह पाठकों को स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ग्रामीण महाराष्ट्र और बॉम्बे की हलचल भरी सड़कों में ले जाता है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम को परिभाषित करने वाले मूल्यों- साहस, एकता और निस्वार्थता की समय पर याद दिलाता है। मालती और कमला की कहानी हमें दिखाती है कि अवज्ञा के सबसे छोटे कार्य भी, जब कई लोगों की इच्छा से गुणा किए जाते हैं, तो वे बड़े बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे युवा, जो भारत के भविष्य के संरक्षक हैं, उन्हें ऐसी कहानियाँ अवश्य पढ़नी चाहिए। उन्हें उन बलिदानों को समझने की ज़रूरत है, जिन्होंने हमारी आजादी को सुरक्षित किया और इसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों को भी। अपनी मजबूत महिला पात्रों के जरिए, यह किताब युवा महिलाओं को एक सशक्त संदेश भी देती है, जो उन्हें निडर होकर सपने देखने और निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। राज्यपाल ने साहित्य और इतिहास में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए श्रीमती लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर पुस्तक की लेखिका श्रीमती लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी, राजदूत कमलेश शर्मा, डॉ. संजीव चोपड़ा आईएएस, प्रभा खैतान फाउंडेशन से अनंदिता चटर्जी एवं FICCI Flo से चारू चौहान उपस्थित रहे।