एलिवेटेड रोड़ के खिलाफ बस्ती बचाओ आन्दोलन का प्रदर्शन

संदीप गोयल /एस.के.एम. न्यूज सर्विस
देहरादून, 22 अगस्त। एलिवेटेड रोड़ के खिलाफ बस्तियों के मालिकाना हक तथा अतिवृष्टि से प्रभावितों की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन के माध्यम मुख्यमंत्री उत्तराखण्ङ को 50 हजार हस्ताक्षर भेजे गए।
बस्ती बचाओ आन्दोलन के बैनर तले आज बड़ी संख्या में प्रभावित जिला मुख्यालय में एकत्रित हुऐ तथा एलिवेटेड रोड़ के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर, बस्तियों को मालिकाना हक देने की मांग की। इस अवसर पर प्राकृतिक आपदा से पीड़ितों के पक्ष में जोरदार मांग उठाई गई। मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन एवं पचास हजार हस्ताक्षरों की सूची जिलाधिकारी कि ओर से कलेक्टर के प्रशासनिक अधिकारी राजेश कपिल ने लिया तथा आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से आन्दोलन के संयोजक अनन्त आकाश, सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज, उपाध्यक्ष भगवन्त पयाल, महिला समिति कि जिलाध्यक्ष नुरैशा अंसारी, अम्बेडकर युवा समिति के अध्यक्ष दिलेराम रवि, प्रेंमा गढ़िया, भागेश्वरी, विप्लव अनन्त आदि ने सम्बोधित किया।
मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन में बस्ती बचाओ आन्दोलन ने कहा रिस्पना-बिंदाल के एलिवेटेड रोड़ से प्रभावितों, बस्तियों के मालिकाना हक के सवाल पर तथा अतिवृष्टि से बस्तियों में हुऐ नुकसान के सन्दर्भ में लगभग 50 हजार हस्ताक्षर प्रेषित कर रहे हैं। उम्मीद है कि जनहित में न्यायोचित कार्यवाही करेंगे। बस्ति बचाओ आंदोलन ने कहा कि एलिबेटेड रोड़ के लिऐ रिस्पना और बिन्दाल नदियों के किनारे बसी लगभग 150 बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों जो सरकारी सर्वे के अनुसार लगभग 2600 है, जबकि इनकी संख्या कई गुना अधिक है, को हटाने का खतरा बना हुआ है, बिस्थापित होने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों से आए मेहनतकशवर्ग के लोग हैं, जिनमें कुछ को छोड़कर ज़मीन के कानूनी दस्तावेज़ नहीं हैं, किन्तु इनमें से अधिकांश बस्तियां सरकार द्वारा घोषित मलिन बस्तियां हैं, आबादी का यह हिस्सा कई दशकों से इन क्षेत्रों में रह रहा है जिनमें समाज के सर्वाधिक कमजोर हिस्सा शामिल जिसमें दलित, अल्पसंख्यक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर हिस्सा शामिल हैं, दो जून कि रोटी के लिए कड़ी मेहनत मशक्कत करते हैं। समाज का कमजोर तबका होने के नाते इनका सामाजिक,आर्थिक तथा अन्य कई तरह के उत्पीड़न आम बात है। रिस्पना-बिंदल एलिवेटेड परियोजना के कारण नदी किनारे बसे हजारों गरीब परिवारों के विस्थापन के खतरे और पर्यावरणीय चिन्ताओं को उजागर करना जरूरी हो गया है। अनियोजित विकास के परिणामस्वरूप उत्तराखण्ङ राज्य खासकर देहरादून अपने प्राकृतिक वैभव को खो रहा है। एलिवेटेड रोड़ चिन्हीकरण और प्रशासन द्वारा ‘जन सुनवाई’ जिसे पीड़ित एवं प्रभावित समुदाय “जबरन विस्थापन की तैयारी” मान रहा है। जनवरी 2025 में स्थानीय चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं ने घोषणा की थी कि एक भी घर नहीं जाएगा और गरीब बस्ती निवासियों को मालिकाना हक़ दिया जायेगा। लेकिन चुनाव जीतने के बाद फरवरी में ही परियोजना कार्य शुरू करने के आदेश दिए गए तथा अखबारों ने मुख्यमंत्री का,dream project कहा गया है। संज्ञान में आया है कि 26 किमी लंबी दो एलिवेटेड सड़कें (रिस्पना पर 15 किमी, बिन्दाल पर 11 किमी) बनाई जाएंगी जिस परअनुमानित लागत 6,200 करोड़, जो दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे की कुल लागत का लगभग आधा है। परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और उत्तराखण्ड सरकार की संयुक्त योजना है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नदियों के ऊपर कंक्रीट की विशाल संरचनाएँ बनाने से रिस्पना- बिंदाल के पुनर्जीवन के प्रयास नष्ट होंगे। जबकि सरकार हाईकोर्ट एवं एनजीटी के समक्ष कह रही है वह रिस्पना बिन्दाल को व्यवस्थित व फ्लडजोन को खाली कर रही है,एलिवेटेड रोड़ कै लिऐ 1500 से भी अधिक पेड़ो की कटाई होगी। पहले के मुकाबले प्रदूषित इन नदियों में सीवेज और कचरा और भी अधिक बढ़ेगा। देहरादून घाटी की प्राकृतिक सुन्दरता और भी अधिक खतरे में पड़ जाएगी। एलिवेटेड रोड़ यातायात समस्या का समाधान नहीं, विशेषज्ञों के अनुसार, यह परियोजना देहरादून-मसूरी रोड पर ट्रैफिक जाम बढ़ाएगी क्योंकि मसूरी पहले ही पर्यटक वाहनों की भीड़ सहन नहीं कर पा रहा। एलिवेटेड रोड़ से देहरादून के रोजगार पर असर पड़ेगा। शहर के भीतर यातायात समस्या का बेहतर समाधान सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा, न कि एलिवेटेड सड़कें बनाना। यह मांग आमजन कि है। सरकार को इस पर तेजी से कार्य करना चाहिये। नदी किनारे समुदायों द्वारा निरन्तर इस सवाल पर धरना-प्रदर्शन और सरकार से पुनर्वास योजना के बारे पूछा जा रहा है बावजूद सरकार कोई स्पष्टता जबाब नहीं दे रही। यह वादों और कार्यों के बीच का यह अंतर उत्तराखंड में विकास के नाम पर समाज के कमजोर वर्गों की उपेक्षा को दर्शाता है। उन्होंने मांग की कि सभी समस्याओं पर न्यायोचित कार्यवाही की जाये। प्रदर्शन करने वालों में रविंद्र नौडियाल, राजेन्द्र शर्मा शबनम, सुरैशि, सुनीता, माला, मनीष कुमार, सुनील कुमार,चेतन, खलील, खालिद, निशार अहमद, नसीम, तस्लीम, कमरजहांं,रंजीत आदि प्रमुख थे।