गणेश चतुर्थी पर नहीं करना चाहिए रात्रि में चंद्र देव के दर्शन : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की इस बार 31 अगस्त बुधवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाने वाली है। इस दिन गणेश जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश चतुर्थी से ही 10 दिनों के गणेश महोत्सव की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की आशीर्वाद से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देव माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर रात्रि में चंद्र देव के दर्शन नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से झूठा कलंक या फिर आक्षेप लगने की संभावना होती है। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करना अपशगुन माना जाता है। अगर गलती से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो उन्हें प्रणाम कर लें। इसके बाद घर आकर के मिष्ठान्न, फल और फूल उनके निमित्त उनके समक्ष दिखाकर दान कर दें। साथ ही गणेश जी के किसी मंत्र का जाप करें या फिर गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें।

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार गणेश जी अपने जन्मदिन पर भोजन करके घर लौट रहे थे। तब उनके मोटे पेट को देखकर चंद्र देव हंसने लगे। जिसके कारण गणेश जी ने उनको श्राप दे दिया था कि तुम्हारा शरीर प्रतिदिन घटता चला जाएगा और तुम अंत में मृत्यु को को प्राप्त हो जाओगे। उस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ने भगवान शंकर की तपस्या की थी। जिससे शंकर भगवान चंद्र देव से प्रसन्न हुए और चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। इसके बाद चंद्रदेव ने गणेश जी से श्राप मुक्ति का उपाय पूछा। तब भगवान गणेश ने कहा कि मैं आपको केवल श्राप से मुक्त होने का उपाय बताता हूं। केवल भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी पर जिस दिन आपने मेरा अपमान किया था उस तिथि पर तुम्हारे दर्शन करने पर लोगों को झूठा आरोप या कलंक लग सकता है। बाकी शेष दिनों में आप जिस गति से घटोगे फिर उसी गति से बढ़कर पूर्णता प्राप्त करोगे।

गणेश चतुर्थी पर शुक्र करेंगे सिंह राशि में प्रवेश, 3 राशियों का चमकेगा भाग्य :- डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की 31 अगस्त 2022 को शाम 04:29 से शुक्र ग्रह सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। 31 अगस्त को ही गणेश चतुर्थी भी है। ज्योतिष में शुक्र को असुरों को गुरु माना जाता है। शुक्र बृहस्पति की तरह ही एक भाग्यशाली ग्रह माना जाता है। व्यक्ति के सुख और प्रचुरता के लिए शुक्र ही जिम्मेदार होता है। शुक्र दो राशियों वृषभ और तुला पर शासन करते हैं। यह सुख, आनंद, आकर्षण, सौंदर्य और समृद्धि के बेहतर गुणों का प्रतीक हैं। यह संगीत, कला, कविता आदि की रचनात्मकता को दर्शाते हैं। सिंह राशि सरकार, प्रशासन, महत्वाकांक्षा, नेतृत्व की गुणवत्ता, सामाजिक प्रतिष्ठा, स्वार्थ, अहंकार, ग्लैमर, रचनात्मक कला और विलासिता का प्रतिनिधित्व करती है। सिंह शुक्र के लिए शत्रु राशि है। शुक्र ग्रह के लिए यह असहज स्थिति है फिर भी यह गोचर कुछ राशियों का भाग्य प्रबल करेगा।

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