वह दिन दूर नहीं है जब उत्तराखंड से डेंगू की बीमारी की विदाई हो जाएगी

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

ऋषिकेश।  डेंगू से बचाव और रोकथाम के लिए एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल की ओर से चलाए गए सेवन प्लस वन अभियान को अंततः उत्तराखंड सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राज्य के सभी जिलों में लागू कर दिया गया है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य महकमे की ओर से यह निर्णय एम्स की इस मुहिम के पूर्णतः सफल होने पर लिया गया है। लिहाजा सरकार द्वारा न सिर्फ इस अभियान को अपनी स्वीकारोक्ति दी गई है, वरन इसे राज्य के प्रत्येक जनपद में संचालित करने का भी निर्णय लिया गया है। यदि सबकुछ मुहिम के तहत हुआ तो वह दिन दूर नहीं है जब उत्तराखंड से डेंगू की बीमारी की विदाई हो जाएगी। एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने इस उपलब्धि के लिए अभियान में जुटी सेवन प्लस टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही उन्होंने जनमानस से आग्रह किया है कि डेंगू जैसी बीमारी को रोकने के लिए आगे बढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। संस्थान की सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि जनस्वास्थ्य से जुड़े ऐसे कार्यक्रमों के लिए डॉक्टर संतोष कुमार काे सीएफएम विभाग की ओर से समय समय पर हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के अपर आचार्य  एवं सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉक्टर संतोष कुमार ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक व अपर निदेशक के साथ ही नेशनल वेक्टर बोन डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह का एम्स के इस सेवन प्लस वन अभियान को उत्तराखंड के हरेक जिले में पहुंचाने के वृहद जनहित के निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया है।

क्या है एम्स का सेवन प्लस वन अभियान

सेवन प्लस वन मॉडल का मुख्य उद्देश्य डेंगू जैसे मच्छर जनित बीमारी को समाज और लोगों की सामुहिक भागीदारी व सहयोग से मच्छर को प्रजनन से पहले ही समाप्त करना है। सेवन प्लस वन मॉडल को तैयार करने वाले एम्स सीएफएम विभाग के अपर आचार्य एवं सोशल आउटरीच सेल के नोडल अधिकारी डॉक्टर संतोष कुमार एवं उनकी टीम के नेतृत्व में इस मॉडल का प्रारूप तैयार किया गया है। ऋषिकेश में डेंगू के प्रकोप को देखते हुए वर्ष- 2019 में सेवन प्लस वन अभियान को प्रथम चरण एम्स परिसर में और उसके बाद नगर निगम ऋषिकेश और एम्स के संयुक्त तत्वावधान में ऋषिकेश के शहरी क्षेत्रों एवं आसपास के डेंगू संभावित क्षेत्रों में लागू किया गया था, जिसके बाद डेंगू के मामलों को कम करने व इसकी रोकथाम में इसके मुहिम के परिणाम संतोषजनक देखने को मिले। इसके बाद से हर वर्ष बरसात एवं शीतकाल में डेंगू के प्रकोप की आशंका के मद्देनजर इस मॉडल को ऋषिकेश के विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया गया। इस मॉडल की विशेषता यह है कि इससे समाज के सभी वर्ग जैसे स्थानीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, स्वयंसेवी संगठनों ,आशा एवं ए.एन.एम. कार्यकत्रियों और राज्य सरकार के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मिलकर इस अभियान को लागू किया जा सता है। साथ ही प्रतिदिन सभी लोग मिलकर दिन में एक घंटा आपसी भागीदारी से अपने क्षेत्र में डेंगू के लारवा के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके डेंगू को समाप्त किया जा सकता है। मॉडल के अनुसार अभियान के तहत यह प्रक्रिया लगातार 7 दिन तक बनाए रखने से डेंगू की रोकथाम में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। इस मॉडल को समय-समय पर लागू करने पर डेंगू के प्रकोप को बढ़ने से रोका जा सकता है साथ ही इसके वैज्ञानिक परिणाम भी उपलब्ध हो सकते हैं।

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *