सिंगल यूज प्लास्टिक से डीजल बनाने पर हुई चर्चा

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द स्वामी से हनुमंत गायकवाड़, अध्यक्ष बीवीजी ग्रुप, महेश बालदी, विधायक उरण महारष्ट्र, किशोर मोहता और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने भेंट कर सिंगल यूज प्लास्टिक से डीजल बनाने और प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट आदि अनेक विषयों पर चर्चा की। स्वामी चिदानन्द ने कहा कि प्लास्टिक मानव जीवन और पर्यावरण के लिये एक मुद्दा बन गया है जिसका हम आज सामना कर रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 56 लाख टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। जिसमें 690 टन अकेले दिल्ली से अपशिष्ट प्राप्त होता है। इस अपशिष्ट का 60 प्रतिशत रिसाइकल होकर पुनः प्रयोज्य होता है परन्तु शेष पुनः प्रयोग नहीं किये जा सकते। यह सिंगल यूज प्लास्टिक अत्यंत खतरनाक होता है। स्वामी जी ने कहा कि प्लास्टिक धरती की भौतिक तथा रासायनिक दोनों क्षमता का हास्र करता है। इससे धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और प्लास्टिक को अपघटित होने में 1000 से अधिक वर्षो का समय लगता है, अपघटित होकर यह छोटे छोटे जहरीले अवयव में परिवर्तित होकर मानव जीवन और मृदा को दूषित करता है। साथ ही प्लास्टिक भूमिगत जल के साथ साथ नदियों तथा समुद्रों को भी प्रभावित करता है। टॉक्सिक लिंक के अध्ययन के अनुसार विश्व की लगभग 20 प्रमुख नदियाँ लगभग 14 लाख टन प्लास्टिक को धारण किये हैं। वल्र्ड इकनोमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 80 लाख टन कचरा समुद्रों में मिल रहा है। इससे समुद्री जीव तथा वनस्पति दोनों को खतरा है। यह कोरल रीफ के लिए भी संकट उत्पन्न करता है। समुद्री कछुए, व्हेल इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं। प्लास्टिक में अंतःस्रावी समस्या उत्पन्न करने वाले रसायन होते हैं जो मोटापा तथा डाइबिटीज का कारण बनते हैं। प्लास्टिक कई बार ड्रैनेज सिस्टम में फंस जाता है तथा प्लास्टिक से बाढ़ जैसी आपदायें भी आ सकती हैं जिससे मानव जीवन भी प्रभावित हो सकता हैं। स्वामी जी ने कहा कि प्लास्टिक वर्तमान समय में जीवनशैली का अंग बन चुका है इसलिये इसे केवल प्रतिबंधित करने से काम नहीं चलेगा बल्कि हम सभी को मिलकर प्लास्टिक का विकल्प तैयार करना होगा। स्वामी ने कहा कि जूट और काटॅन प्लास्टिक का बेहतर विकल्प हो सकता है, यह बायोडिग्रेडेबल है तथा पैकिंग हेतु उपयुक्त है। जिस प्लास्टिक ने कुछ समय पूर्व मानव जीवन को सुविधाजनक बनाया था वही अब घातक सिद्ध हो रहा हैं इसलिये प्लास्टिक के विकल्पों को चुनाना होगा तभी हम भावी पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य दे सकते है।

 

 

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