भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
हरिद्वार 28 मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना की गहराई का नाम समाधि है। रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री अरविन्द, युगऋषि पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य आदि ने साधना की गहराई को जिया और समस्याओं का निदान समयानुसार प्राप्त करते रहे। कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित नवरात्र साधना सत्संग शृंखला के छठवें दिन देश विदेश से आये गायत्री साधकों एवं देसंविवि के युवाओं को संबोधित कर रहे थे। कुलाधिपति ने कहा कि सात्विक साधना रूपी निर्मल जल से काम, क्रोध, लोम, मोह, अंहकार आदि से मुक्ति पाई जा सकती है। अनेक साधु, संतों ने कठोर तपस्या, साधना से इनसे मुक्ति पाई और अपने शिष्यों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्र्रेरित किया। उन्होंने कहा कि एक साधक साधना की गहराई में उतर कर दिव्य अनुभुति द्वारा इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करता है। मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि भगवान के अवतारों की कथा सुनने का लाभ तभी है जब हमारे अंदर आदर्शों का अवतरण हो और हमारे मन में बैठे रावण जैसी सोच की लंका जले एवं हृदय में भगवान श्रीराम स्थपित हो। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या जी ने रामचरित मानस के विभिन्न चौपाइयों के माध्यम से निर्मल भाव से प्रभु के कार्यों एवं साधना से मिलने वाले विभिन्न लाभों का विस्तार से उल्लेख किया। समापन से पूर्व युगगायकों ने ‘हृदय से लगा लो ….’ भक्तिगीत गाकर उपस्थित साधक, श्रोताओं को भक्तिभाव में डूबो दिया। इस अवसर पर देश-विदेश से आये साधक एवं शांतिकुंज, देसंविवि परिवार उपस्थित रहे।