प्रौद्योगिकी का उपयोग क्वालिटी शिक्षा प्राप्त करने में करें युवा

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
फरीदाबाद। प्रौद्योगिकी में स्वयं को उन्नत बना कर हमारे देश ने गत वर्षो में कोविड पर सफलता प्राप्त की। प्रौद्योगिकी में चिकित्सा प्रौद्योगिकी, उन्नत प्रौद्योगिकियां और विनिर्माण आदि सम्मिलित हैं। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया। सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि यदि टेक्नोलॉजी अर्थात प्रौद्योगिकी ना हो तो दूरसंचार, मेडिकल, शिक्षा, व्यापार आदि में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है चाहे देश हो या विदेश यदि विकास चाहिए तो टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। भारत भी दिन प्रतिदिन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास कर रहा है और हर वर्ष भारत में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अतुलनीय योगदान देने वालों के सम्मान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का थीम एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण रखा गया है प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि 1998 में भारत एक उभरती हुई परमाणु शक्ति बन गया था क्योंकि 11 मई 1998 को सफलता पूर्वक परमाणु परीक्षण हुआ था और इसी सफलता को प्राप्त करने के पश्चात भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की घोषणा की थी। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि इस परीक्षण को मूर्त रूप देने के पीछे एयरोस्पेस वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद का विशेष योगदान था। इन्हीं के मार्गदर्शन द्वारा ही भारत अपना परमाणु परीक्षण को सफलता से पूरा कर पाया और छठे परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में उभरा। ऑपरेशन शक्ति के अंतर्गत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण के बाद ही प्रौद्योगिकी दिवस मनाना प्रारंभ किया गया। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि यह मिशन भारतीय सेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण और अनुसंधान के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था। इन परीक्षणों ने भारत को थर्मोन्यूक्लियर हथियार और विखंडन बम बनाने में सक्षम बनाया। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर भारत के पहले स्वदेशी विमान हंसा 1 ने उड़ान भरी और डी आर डी ओ ने सतह से हवा में मार करने वाली त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण किया। यह एक त्वरित प्रतिक्रिया समय के साथ कम दूरी की मिसाइल है। विद्यालय के अध्यापकों राजीव लाल, अनिल कुमार, मोनिका सिंह एवम छात्राओं प्रतिभा, पूजा, प्रिया, दिव्या और प्रांजलि आदि ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा के मार्गदर्शन में देश के वैज्ञानिकों को नमन करते हुए प्रौद्योगिकी का उपयोग क्वालिटी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।