17 जून को कुंभ राशि में वक्री होंगे शनिदेव : डाक्टर आचार्य सुशांत राज

डाक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू ज्योतिष में शनिदेव की चाल हर राशि के जातकों को प्रभावित करती है। शनिदेव को दुख, रोग, लोहा, और सेवक आदि का कारक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सभी 9 ग्रहों में शनि ग्रह की चाल सबसे धीमी होती है और वे हर राशि में करीब ढाई समय रहते हैं। शनिदेव को एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। इसे ही शनि की साढ़े साती और ढैय्या कहा जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है और हर जातक को कर्म के अनुसार ही फल देते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक शनि कुंभ राशि में 17 जून 2023 की रात 10.48 मिनट पर शनि कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे। शनि देव 4 नवंबर सुबह 8.26 मिनट तक इस अवस्था में रहेंगे। हिंदू पंचांग के मुताबिक शनिदेव लगभग 5 महीने वक्री अवस्था में रहेंगे। ऐसे में कुछ जातकों पर इसका अशुभ प्रभाव हो सकता है। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की शनि ग्रह 17 जनवरी से ही कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इस दौरान 30 जनवरी को अस्त होकर 6 मार्च को उदय हुए थे। अब वे 17 जून 2023 की रात 10 बजकर 48 मिनट पर अपनी वक्री चाल चलेंगे। 4 नवंबर 2023 को प्रातः: 8:26 बजे तक वक्री रहकर एक बार पुनः मार्गी हो जाएंगे।