स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने की उत्तरकाशी में ग्रामीण महिलाओं से मुलाकात

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गंगोत्री यात्रा के दौरान आज उत्तरकाशी में पहाड़ी महिलाओं से भेंट कर उनका हालचाल जाना तथा युवा पीढ़ी का पहाड़ से हो रहे पलायन के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास में ग्रामीण व पहाड़ी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी की महत्ता अद्भुत है। भारतीय संस्कृति में भगवान शिव का नाम अर्द्धनारीश्वर है। हमारा पौराणिक इतिहास व समग्र समाज महिलाओं की पुरुषों के साथ बराबरी की भागीदारी की मान्यता, भावना एवं सिद्धांतों को मान्यता प्रदान करता है। पूजा, विधिविधान, अनुष्ठान आदि श्रेष्ठ कार्य के समय महिला को पुरुष के दाहिनी ओर बैठाने की परंपरा के पीछे भी महिलाओं को श्रेष्ठ कार्यों में प्राथमिकता देने का चितंन निहित है। हम नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन करते हैं अर्थात हमारा इतिहास समग्र विकास में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी की आवश्यकताओं पर बल देता हैं।

भारत को गाँवों का देश माना जाता है। अतः भारत के समग्र विकास हेतु आवश्यक है कि गाँवों व ग्रामीणों विशेषकर महिलाओं एवं युवाओं का भी विकास हो। लैंगिक समानता हासिल करना और महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ राष्ट्र की उन्नति हेतु भी महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही अत्यधिक गरीबी, भूख और कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में नारी शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। महिलाएं घर के कार्य सहित कृषि श्रम शक्ति का एक बड़ा हिस्सा हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों के भीतर अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों को करने में अमूल्य योगदान प्रदान करती है और पहाड़ों में तो कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और पोषण, भूमि और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। देश में ग्रामीण महिलाओं की बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद अगर उनकी भागीदारी देश के विकास में न हो और उन्हें उचित अवसर नहीं प्राप्त हो तो उसका असर पूरे राष्ट्र पर पड़ता है। नारी शक्ति की भागीदारी के बिना किसी भी प्रकार के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती इसलिये ग्रामीण विकास के लिये महिलाओं की भागीदारी महत्त्वपूर्ण है। अन्तर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस का उद्देश्य इस तथ्य के बारे में जागरूकता लाना कि ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी पारिवारिक आजीविका में विविधता लाती है। यह दिवस कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा में सुधार तथा ग्रामीण गरीबी उन्मूलन में स्थानीय महिलाओं सहित ग्रामीण महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के प्रति जागरूक करता है।

 

 

 

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