21 अगस्त का भारत बंद पूरी तरह विफल रहा : मकवाना

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
देहरादून, 23 अगस्त। भगवत प्रसाद मकवाना राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय वाल्मीकि क्रांतिकारी मोर्चा एवं पूर्व अध्यक्ष सफाई कर्मचारी आयोग उत्तराखंड सरकार एवं पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा ने कहा की मायावती बसपा प्रमुख चंद्रशेखर भीम आर्मी प्रमुख और उनको समर्थन कर रहे कांग्रेस और कुछ अन्य दलों को एहसास हो गया होगा कि 21 अगस्त 2024 का बन्द अनुसूचित जाति जनजाति की 95% जातियों ने इसका बहिष्कार किया केवल जो लोग आरक्षण की मलाई खाते रहे उन्होंने ही इसमें भागीदारी की। देश के सभी बाजार व प्रतिष्ठान खुले रहे बन्द का कोई असर दिखाई नहीं दिया। अनुसूचित जाति जनजाति आरक्षण का लाभ लेने वाले समाज को गुमराह करने का काम कर रहे हैं कि इससे अनुसूचितसमाज में विघटन हो जाएगा। जबकि यह सत्य से परे है बेहतर होता कि बड़े भाई के नाते जिन जातियों ने अनुसूचित जाति आरक्षण का 90% से अधिक हिस्सा प्राप्त कर लिया है वह छोटे भाइयों अर्थात अति दलित जातियों को 1 अगस्त 2024 के सुप्रीम कोर्ट के वर्गीकरण के निर्णय का समर्थन करके अनुसूचित जाति जनजाति एकता का परिचय देते किंतु सुप्रीम कोर्ट का निर्णय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के सपने को साकार करने वाला है जिसका अधिकांश अनुसूचित समाज समर्थन कर रहा है कुछ जातियां ही विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनको अब महसूस हो रहा है की आने वाले समय में उनको जो मलाई अभी तक मिल रही थी उसमें वंचित समाज का भी हिस्सा जुड़ जाएगा अर्थात उनकी भागीदारी अब 90% नहीं रह पाएगी इसीलिए यह जातियां विरोध कर रही हैं। जो वर्गीकरण का विरोध कर रहे हैं मैं उनसे जानना चाहता हूं कि पंजाब में 1975 में अनुसूचित जाति आरक्षण का वर्गीकरण करके वाल्मीकि और मज़हबी सिख जातियों को पृथक आरक्षण लागू किया गया, 1994 में हरियाणा में ए और बी श्रेणी में अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण का बटवारा किया गया 2001 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने कैबिनेट मंत्री श्री हुकम सिंह जी के अध्यक्षता में सामाजिक न्याय कमेटी का गठन किया इसके पश्चात उत्तर प्रदेश में अति दलित अति पिछड़ाओं के लिए वर्गीकरण किया गया आंध्रा में भी ऐसी ही व्यवस्था लागू की गई वहां अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों में कोई सामाजिक विद्वेष उत्पन्न नहीं हुआ। परिवारों में भी बटवारा होता है किंतु परिवार तब भी एकजुट रहता है परिवार में भी माता-पिता से उनकी संताने अपना-अपनाअधिकार मांगती हैं। सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायाधीशों की पीठ में से 6 सम्मानित न्यायाधीशों द्वारा वर्गीकरण का निर्णय तथ्यात्मक परीक्षण एवं व्यावहारिक दृष्टि से समाज में आरक्षण के नाम पर एक वर्ग निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है तथा वंचित अपेक्षित अन्य जातियां आरक्षण के लाभ से महरूम रह रही है को दृष्टिगत रखते हुए ही अत्यंत सराहनीय और ऐतिहासिक फैसला दिया है। जिसका अनुसूचित जाति जनजाति की अधिकांश जातियों द्वारा स्वागत किया जा रहा है किंतु कुछ जातियां और कुछ पार्टियों के एक जाति विशेष के नेता भ्रम फैलाकर समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां फैला रहे हैं। किंतु अब अति दलित जातियां अपना भला और बुरा समझने का ज्ञान रखती हैं। राष्ट्रीय वाल्मीकि क्रांतिकारी मोर्चा पूरे देश में माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों एवं याचिका कर्ताओं का हृदय की गहराइयों से आभार प्रकट करता है जिन्होंने सदियों से शोषित, उपेक्षित वंचित वाल्मीकि समाज, स्वच्छकार समाज, खटीक धोबी धानुक पासी शिल्पकार डोम डूमार माडिग, राउत, बानसफोड, मुसहर आदि जातियों के हित में फैसला दिया तथा राज्य सरकारों को संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण का फैसला लेने के लिए वैधानिक मान्यता प्रदान की। राष्ट्रीय वाल्मीकि क्रांतिकारी मोर्चा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी अनुसूचित जाति जनजाति की अति दलित जातियों तक जन जागरण करके पहुंचने का कार्य करेगा तथा पूरे देश में महामहिम राष्ट्रपति जी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी तथा राज्यों के माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करके 1 अगस्त 2024 के मान्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार अनुसूचित जाति जनजाति आरक्षण में वर्गीकरण किए जाने की मांग करेगा ताकि अति दलित समाज को भी आरक्षण का शैक्षिक सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र मेंलाभ प्राप्त हो सके। जिससे अभी तक अति दलित जातियां वंचित रही हैं। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवत प्रसाद मकवाना ने अति दलित जातियों के सभी सामाजिक संगठनों एवं उनके कार्यकर्ताओं से विनम्र अपील की है कि ऐसे राजनीतिक नेताओं संगठनों को भी बेनकाब करें जो संपूर्ण अनुसूचित समाज के नेता होने का ढोंग करते हैं किंतु सुप्रीम कोर्ट के अति दलितों के हित में दिए गए फैसले का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय वाल्मीकि क्रांतिकारी मोर्चा महामहिम राष्ट्रपति जी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी तथा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से पूरजोर मांग करता है कि 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति जनजाति के वर्गीकरण के आधार पर अति दलित जातियों को पृथक आरक्षण प्रदान करने हेतु शीघ्र अति शीघ्र आदेश जारी करें ताकि अति दलित जातियों को सामाजिक न्याय प्राप्त हो सके।