एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

देहरादून। उत्तराखंड राज्य में अभी चंद दिन पूर्व नगर निकाय चुनाव सम्पन हुये हैं, इन चुनावों में जहां मतदाताओं ने भाजपा पर अपना विश्वास कायम रखा वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को आत्म चिंतन के लिये छोड़ दिया। प्रदेश के 11 नगर निगम में कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार हुई। भाजपा के खाते मे 10 मेयर गये, तो एक मेयर पद पर निर्दलीय प्रत्याक्षी की जीत हुई। नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पार्टी नेताओं को इसका कोई मलाल होता नज़र नहीं आ रहा। चुनाव परिणाम आये कई दिन बीत गये हैं, मगर अभी तक एक भी नेता ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचता हुआ नज़र आ रहा हैं। छोटे-छोटे मामले में अपना चेहरा कैमरे के आगे चमकाने वाले नेता, चुनाव हारने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब तक नहीं दे पा रहे हैं। अब बड़ा सवाल यहीं उठ रहा हैं की आखिर कांग्रेस पार्टी में हार की जिमेदारी लेने की प्रथा नहीं हैं ? या फिर पद की इतनी लालसा हैं की सगठन अर्श से फर्श पर आ जाये, मगर कुर्सी ना छूटे। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र शाह ने हार की वजह संगठन की कमजोरी को माना है, लेकिन खासतौर पर देहरादून संगठन पर सीधा निशाना साधा। उनका साफ कहना है कि प्रदेश स्तर पर संगठन ने सही तरीके से काम किया, लेकिन देहरादून में संगठन पूरी तरह फेल रहा। कमजोर रणनीति और आपसी गुटबाजी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। देहरादून में बूथ स्तर तक संगठन कमजोर नज़र आया। बेशक कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री हार की वजह संगठन की कमजोरी को मान रहे हैं, मगर अभी तक एक भी नेता ने हार की जिम्मेदारी लेते हुये अपने पद से त्याग पत्र क्यों नहीं दिया? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं हैं। कोई यह तक नहीं बता पा रहा हैं की चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर कब गाज गिरेगी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का बस इतना कहना हैं की 11 मेयर सीटों पर हार के बाद पीसीसी चीफ को खुद हार की जिम्मेदारी लेते हुये अपने पद को छोड़ देना चाहिये।

 

 

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