गुरुभक्तो का पुष्प वर्षायोग समिति ने किया अभिनन्दन

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

देहरादून। परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी प्रेरणा स्तोत्र उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सानिध्य में संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें नित्य प्रति दिन जिनालय में मंदिरों की घंटियों की गूंज के साथ- साथ, श्री जी की प्रक्षाल, मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान से पूजन , विधानाचार्य संदीप सजल जैन शास्त्री इंदौर के द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ विधान किया जा रहा है।

आज के विधान के पुण्यार्जक पुष्प वर्षायोग समिति एवं दिगंबर जैन महासमिति रहे। पूज्य आचार्य श्री के पास बाहर से पधारे गुरुभक्तो का पुष्प वर्षायोग समिति द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया। पूज्य आचार्य श्री ने सभी धर्म प्रेमी बंधु श्रद्धालुओं से कहा कि जिस प्रकार समुद्र में लहरे उठती है ज्वार आता है तो पानी की तरगे बाहर आ जाती है। लेकिन जब पुरा पानी वापस लौटता है तो उसकी एक विशेषता होती है कि पानी तो वापस लौट जाता है परन्तु उसके साथ जो रत्न आते है वो वही जमीन पर रह जाते है। हे प्रभु इसी प्रकार हमारा जीवन हो कि जैसे समुद्र का पानी वापस आकर चला जाता है और रत्न जमीन पर बिखर जाते है उसी प्रकार कभी धर्म का अवसर आये तो हम सभी बाहर निकल जाए और हमारे संस्कारो के रत्न हमारे समाज में हमारी जमीन पर बिखर जाए। जब सस्कारो के रत्न हमारे जीवन की जमीन पर बिखर जाते है तो भगवान महावीर कहते है कि वही चमक वो रत्न किनारे रहने वाले लोगो की दरिद्रता मिटाता है। उसी प्रकार संस्कारो का रत्न हमारे भीतर पड जाता है तो स्वाभाविक रूप से हमारे जीवन की विकृति को मिटाता है।

 

 

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