आंखे हैं अनमोल, चोट लगने से करें बचाव

भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज सर्विस
ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेश में आयोजित पब्लिक व्याख्यान कार्यक्रम के तहत नेत्र रोग विशेषज्ञों ने कहा कि दुनिया देखने के लिए आंखे जरूरी हैं और आंखों की सुरक्षा के लिए इनकी देखभाल के साथ-साथ इन्हें चोट लगने से बचाना भी बहुत जरूरी है। बताया गया कि आंखों में लगने वाली चोट की वजह से आंखो की रोशनी भी जा सकती है इसलिए संवदेनशील कार्य स्थलों पर आंखों की सुरक्षा के लिए हमेशा सुरक्षा चश्मों का उपयोग करना चाहिए। विभिन्न कारणों से आंख में चोट लगने पर आंखों की देखभाल और इसके प्रति जन जागरूकता के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश में ’आंखों में लगने वाली चोट, कारण एवं बचाव’ विषय पर पब्लिक लेक्चर और सतत चिकित्सा शिक्षा (सी.एम.ई.) का आयोजन किया गया। संस्थान के नेत्र रोग विभाग और ’उत्तराखंड स्टेट ऑफ्थोमोलोजी सोसाईटी (यू.के.एस.ओ.एस) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञों सहित देहरादून, हरिद्वार और आसपास के मेडिकल काॅलेजों तथा स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आंखों को सुरक्षित रखने के बारे में व्यापक चर्चा की और अपने अनुभव साझा कर विभिन्न लाभप्रद जानकारियां दीं। वर्चुअली माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने आंखों में लगने वाली चोट को एक ज्वलंत मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में यह एक आम समस्या हो गयी है। खासतौर पर सड़क दुर्घटनाओं के अधिकांश मामलों में आंखों में चोट लगने के केस ज्यादा आने लगे हैं। इसके लिए उन्होंने संस्थान स्तर पर जन-जागरूकता अभियान संचालित करने की बात कही।
संबन्धित विषय पर व्याख्यान देते हुए एम्स के नेत्र रोग विभाग के हेड और कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि आंखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन कई बार बाह्य आघात से लगने वाली चोट के कारण हमारी आंखों को गंभीर नुकसान पंहुच जाता है। यहां तक कि चोट लगने से अंधेपन की समस्या भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि हम आंखों की चोट, होने वाले नुकसान और उससे बचाव के प्रति सजग रहकर आंखों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह जागरूक रहें और अपने आस-पास के लोगों को भी इस बारे में जागरूक करें। डाॅ. मित्तल ने बताया कि खेलते समय छोटे बच्चों के अलावा श्रमिक वर्ग के लोगों को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है। बताया कि छेनी हथोड़े से कार्य करने वाले, बढ़ई, कारपेन्टर, वैल्डर, लुहार, पेन्टर, खराद मशीन मे काम करने वाले और विभिन्न कल-कारखानों में काम करने वाले लोगों को आंख में चोट लगने का ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा आंखों में अचानक नुकीली चीज के लगने, एसिड गिरने, गर्म चाय गिरने, विकिरण की वजह से, स्पोर्ट्स आयोजनों के दौरान, केमिकल इंजरी और एनिमल इंजरी की वजह से भी हमारी आंखों को चोट पहंुचती है। इन सबके बचाव के बारे में उन्होंने विस्तार पूर्वक जानकारी दी और उक्त कार्यों के दौरान अनिवार्य रूप से सुरक्षा चश्मा पहिनने की सलाह दी। इस अवसर पर विभाग द्वारा बड़ी संख्या में सुरक्षा चश्मों का वितरण भी किया गया। जिसका आम लोगों ने लाभ उठाया। संस्थान की डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन, रोटरी क्लब, लाॅयन्स क्लब, स्वर्गाश्रम ट्रस्ट, मुस्कान फांउडेशन, मोहन फांउडेशन, इन्हरव्हील क्लब सहित आसपास के क्षेत्रों की दो दर्जन से अधिक स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित यू.के.एस.ओ.एस के अध्यक्ष डाॅ. राजेश तिवारी, डाॅ. सौरभ लूथरा, डाॅ. सतांशु माथुर, डाॅ. ओली, डाॅ. रेणू धस्माना, डाॅ. रिजवी, डॉ नीरज सारस्वत, डॉ विशाल शर्मा, डाॅ. तरण्णुम, मेदान्ता अस्पताल गुरूग्राम की डाॅ. भारती आर्य के अलावा कार्यक्रम के आयोजन सचिव और एम्स नेत्ररोग विभाग के नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. रामानुज सामन्ता, डाॅ. नीति गुप्ता, डाॅ. अजय अग्रवाल, डाॅ. अनुपम सिंह, डाॅ. शेखर शास्वत सहित कई विभागों के फेकल्टी सदस्य मौजूद रहे।