भगवान वामन की जयंती पर परमार्थ निकेतन में विशेष पूजा अर्चना

भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज सर्विस

ऋषिकेश, 4 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में आज भगवान विष्णु के पंचम अवतार, भगवान श्री वामन जी की जयंती श्रद्धा, उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनायी गई। यह पावन अवसर हमें स्मरण कराता है कि जीवन की सच्ची शक्ति बाहरी वैभव या सामर्थ्य में नहीं, बल्कि विनम्रता, धर्म और आत्मसमर्पण में है। भगवान वामन जी ने असुरराज बलि से तीन पग भूमि माँगकर विराट स्वरूप धारण किया और यह शाश्वत संदेश दिया कि ईश्वर की योजना और धर्म की व्यवस्था के आगे अहंकार व असत्य कभी स्थायी नहीं रह सकते। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि “अहंकार मनुष्य के पतन का कारण है और विनम्रता उसे देवत्व की ओर ले जाती है।” उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वामन जयंती केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन का उत्सव है। भगवान वामन का अवतार हमें प्रेरित करता है कि हम हर परिस्थिति में धर्म का साथ न छोड़ें और हर प्राणी में ईश्वर का अंश देखकर प्रेम, करुणा और सेवा भाव से जीवन जियें।

 

 

 

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