रजत जयंति वर्ष : राज्य निर्मांण आंदोलनकारी आज भी सड़क पर
संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज सर्विस
देहरादून, 08 नवंबर। एक तरफ उत्तराखंड राज्य सरकार राज्य स्थापना दिवस को रजत जयंति वर्ष के रूप में मनाते हुए अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रही है वहीं दूसरी और राज्य निर्मांण आंदोलनकारी आज भी सड़क पर उतरकर मुख्यमंत्री आवास कूच करने को मजबूर है। उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के बैनर तले सीएम आवास कूच करने वाले राज्य निर्माण आंदोलनकारियों का आरोप है कि राज्य बने हुए 25 वर्ष हो चुके है लेकिन अभी तक सरकार छूटे हुए उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों का चिहिन्करण नहीं कर पायी है।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज दोपहर 12:30 बजे के लगभग उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के बैनर तले दर्जनों राज्य निर्माण आंदोलनकारी संरक्षक नवनीत गुसांई के नेतृत्व में राजधानी दून में एकत्र हुए, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। आंदोलनकारियों का जुलूस जैसे ही दिलाराम चौक के निकट पहुंचा तो पुलिस प्रशासन ने उनके जुलूस को कैंट रोड मोड पर रोक दिया। जहां आंदोलनकारियों व पुलिस के बीच हल्की झड़प हुई लेकिन आंदोलनकारी वहां से आगे नहीं बढ़ पाये और जिला प्रशासन की ओर से उपजिलाधिकारी प्रेमलाल मौके पर पहुंचे जहां उन्होंने आंदोलनकारियों से ज्ञापन लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की सभा को संबोधित करते हुए नवीनत गुसांई ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार बेशक रजत जयंति वर्ष मनाते हुए अनेकों कार्यक्रम आयोजित कर रही है, लेकिन सरकार उन आंदोलनकारियों को भूल गई जिनके संघर्ष व शहादत की बदौलत राज्य का गठन हुआ। आज राज्य निर्माण को 25 वर्ष हो रहे है लेकिन सरकार अभी तक आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण नहीं कर पायी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद मुख्यमंत्री आवास कूच करने के माध्यम से अपनी मांग सीएम तक पहुंचाना चाह रही है और साथ ही यह चेतावनी भी देती है कि यदि आंदोलनकारियों की पांच मांगों को अतिशीघ्र पूरा नहीं किया गया तो आंदोलनकारी एक बार फिर सड़कों पर उतरकर चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर देगें।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेत्री एवं राज्य निर्माण आंदोलनकारी प्रमिला रावत ने कहा कि चिहिन्करण के लंबित प्रकरणों का अविलम्ब निस्तारण होना जरूरी है। इसके साथ ही शहीद स्मारक देहरादून का सौंदर्यकरण व विस्तारिकरण पहाड़ी शैली में किया जायें। उन्हाेंने मांग की कि ऋषिकेश एक प्रमुख पर्यटक स्थल होेने के कारण ऋषिकेश के शहीद स्मारक का गरिमा के अनरूप निर्माण किया जायें व 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ सभी आंदोलनकारियों के लिये सुनिश्चित किया जायें और 26 अगस्त 2013 के आदेश पर रोके गये सफल घोषित अभ्यर्थियों की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से की जायें। इस अवसर पर राजकुमार जायसवाल ने किया कि आंदोलनकारी सम्मान पेंशन को सम्मानजनक रूप से बढ़ावा जायें और यह राशि पेंशन पट्टे के माध्यम से प्रषित की जायें। इस अवसर पर नवनीत गुंसाई, इन्दुनौडियाल, प्रमिला रावत, अनन्त आकाश, चिन्तन सकलानी, राजकुमार जैसवाल, राजेश शर्मा, अमित परमार, राजेन्द्र पुरोहित, मनोज भट्ट, मौहम्मद इकबाल, मुकेश मोघा, सुरेश डंगवाल, पारूल बिष्ट, जयबीर सिंह पण्डाटा, अम्बुज शर्मा, सुरेशकुमार, जगमोहन रावत, सुभागा फरस्वाण, सुशील घिल्डियाल, पारूल बिष्ट, विकास रावत, दुर्गाध्यानी रतूड़ी, विकास रावत, आनन्द सिंह बिष्ट, बिन्द मिश्रा, कुसुम नौडियाल, शाकुम्बरी रावत आदि नै विचार व्यक्त किये।
