हमारे कर्म ही हमारा सच्चा डायमंड : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

भगवती प्रसाद गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में गुजरात से आये प्रसिद्ध हीरा व्यापारी और हजारों साधकों ने पंचदिवसीय साधना और सत्संग में सहभाग किया। सभी साधकों ने परमार्थ निकेतन में होने वाले विश्व शान्ति हवन, गंगा आरती, सत्संग और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों का लाभ लिया। गुजरात से आये हीरा व्यापारी काका गोविंद भाई जी और अन्य सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण एवं सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने हेतु विचार-विमर्श किया। स्वामी जी ने कहा कि इस परिवार ने अपने डायमंड व्यापार से पूरे विश्व में भारत का नाम प्रतिष्ठित किया है। उन्होंने कहा कि चमको डायमंड की तरह परन्तु कर्म ऐसे करो की वे सदैव चमकते रहे क्योंकि कर्म ही हमारे साथ जाते हैं बाकी सब यही पर रह जाता है। स्वामी जी ने कहा कि गोविंद काका ने अपने पूरे परिवार और सगे-संबंधियों को साथ रखकर बंधुत्व का संदेश दिया है। इस पूरे परिवार से निरंतर संस्कारों की गंगा प्रवाहित होते रहती है, ऐसे ही दूसरे सभी परिवारों में भी संस्कारों की गंगा बहती रहे। स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में देखे तो डायमंड यही पर रह जाते है परन्तु जो हमारे श्रेष्ठ कर्म, संस्कार और नैतिक मूल्य ही हमारे साथ जाते हैं। परिवार में संस्कार और नैतिक मूल्यों के रोपण अद्भुत कार्य गोविंद काका ने किया है वे इसके साक्षात माॅडल है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जीवन शापिंग करने का नाम नहीं है बल्कि दूसरों को तीर्थ यात्रा कराना, समाज की सेवा करना ही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है। काका गोविंद भाई जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन की आरती अनेक स्वरूपों में महत्वपूर्ण है। यह आरती भारतीय संस्कृति का साक्षात स्वरूप है। यहां पर विश्व के लगभग सभी देशों के साधक आकर साधना करते है। प्रतिवर्ष हम गुजरात से हजारों-हजारों साधकों को दीपावली का पर्व मनाने हेतु परमार्थ निकेतन लाते हैं और यहां से एक अद्भुत ऊर्जा और सकारात्मकता लेकर लौटते हैं। हमारे लिये यह तट ऊर्जा का पावर हाउस है। काका गोविंद भाई, जयंती भाई, दिनेश भाई, परेश भाई, राकेश भाई और उनके परिवार ने हजारों साधकों के साथ परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी जी ने गोविंद काका और डायमंड परिवार के सदस्यों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

 

 

 

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