92.16 मिलियन टन कोयले को युक्तिसंगत बनाया गया

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
नई दिल्ली, 1 सितंबर। कोयला मंत्रालय ने कोयला खदानों से उपभोक्ताओं तक कोयले के परिवहन की दूरी को कम करने के लिए कोयला लिंकेज के युक्तिकरण नामक एक पहल शुरू की है जिससे परिवहन की लागत कम होगी और कोयले से विद्युत उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी। विद्युत क्षेत्र में कोयला लिंकेज के युक्तिकरण के परिणामस्वरूप खदानों से विद्युत संयंत्रों तक परिवहन की लागत में कमी आई है जिससे कोयले से विद्युत उत्पादन अधिक दक्ष हो गया है। यह प्रक्रिया परिवहन संबंधी अवसंरचना पर भार को कम करने, कोयला निकालने संबंधी बाधाओं को कम करने के साथ-साथ कोयले की लागत में कमी लाने में मदद करती है।
अंतर-मंत्रालयी कार्यबल (आईएमटीएफ) की सिफारिश के आधार पर राज्य/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए लिंकेज के युक्तिकरण को कार्यान्वित किया गया। इस कार्यबल का गठन जून 2014 में किया गया था। स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) के लिंकेज को युक्तिसंगत बनाने के लिए जुलाई 2017 में एक और आईएमटीएफ का गठन किया गया था। आईपीपी/निजी क्षेत्र के संयंत्रों के लिए कोयले के युक्तिकरण की पद्धति भी 15 मई 2018 को जारी की गई थी। कोयला लिकेंज को और अधिक तर्कसंगत बनाने की संभावना को तलाशने के लिए अक्टूबर 2018 में एक आईएमटीएफ का भी गठन किया गया था, जिसमें तटीय क्षेत्रों के पास ढुलाई किए जाने वाले घरेलू कोयले के साथ भीतरी इलाकों में पहुंचाए जाने वाले आयातित कोयले की स्वैपिंग भी शामिल थी।
अब तक, लिंकेज के युक्तिकरण के चार राउंड हो चुके हैं, जिसमें 73 ताप विद्युत संयंत्र (टीपीपी) शामिल हैं, जिनमें से 58 राज्य/केंद्रीय विद्युत उत्पादन कंपनियों (जेनको) और 15 स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) से संबंधित हैं। लिंकेज के युक्तिकरण के परिणामस्वरूप कुल 92.16 मिलियन टन (एमटी) कोयले का युक्तिकरण हुआ है जिससे लगभग 6240 करोड़ रुपये की वार्षिक संभावित बचत हुई है।