विकास के नाम पर पहाड़ी राज्यों के साथ ठगी : सोनम वांगचुक

संदीप गोयल/ एस.के.एम. नयूज सर्विस

देहरादून। उत्तराखंड महिला मंच के द्वारा सोनम वांगचुक के देहरादून  आने पर उनके साथ मंच की महिलाओं और उत्तराखंड इंसानियत मंच से जुड़े विभिन्न संगठनों के संघर्षशील साथियों की बातचीत के कार्यक्रम में बोलते हुए सुविख्यात शिक्षा विद, वैज्ञानिक एवं लद्दाख के लोगों की आवाज माने जाने वाले सोनम वांगचुक ने कहा कि पहाड़ के राज्यों में विकास के नाम पर यहां के लोगों के साथ ठगी हो रही है। जो विकास जनता से पूछ कर किया जाना चाहिए था, वह कॉर्पोरेट के दबाव में किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए इन राज्यों की जनता को संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से चीन और पाकिस्तान से भारत की तुलना की जाए तो भारत की स्थिति ज्यादा मजबूत है। युद्ध के साजो-सामान में तीनों लगभग बराबर हैं, लेकिन भारत के लद्दाख और उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिक देश के प्रति समर्पित नागरिक हैं। जबकि पाकिस्तान का सीमावर्ती बलूचिस्तान और चीन का तिब्बत हमेशा विद्रोह की स्थिति में रहते हैं। इसके बावजूद भारत की सरकार लद्दाख और उत्तराखंड के नागरिकों की उपेक्षा कर रही है, जो की ठीक नहीं है। सोनम वांगचुक ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई थी और लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाया था तो लद्दाख के लोगों को लगा कि इससे उनका विकास होगा। इस उम्मीद के साथ उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया। लेकिन जब केंद्र शासित राज्य बनाने का जश्न खत्म हुआ, तब पता चला कि यह तो लद्दाख के लोगों के साथ धोखा है, क्योंकि अब इस क्षेत्र का कोई प्रतिनिधि विधानसभा में नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था संभवत: इसलिए की गई ताकि कॉर्पोरेट द्वारा संचालित परियोजनाएं बिना स्थानीय लोगों की सहमति के बनाई जा सकें। उनका कहना था कि उत्तराखंड सहित सभी पहाड़ी राज्यों में विकास कॉर्पोरेट के दबाव में किया जा रहा है। लद्दाख की जनता छठी अनसूची की मांग कर रही है, ताकि स्थानीय लोगों की सहमति के बिना कोई परियोजना लद्दाख में न बने।उन्होंने कहा कि लद्दाख एक दुर्गम क्षेत्र है। वहां के लोग दिन में सिर्फ 5 से 10 लीटर पानी इस्तेमाल करते हैं। जब शहर के लोग वहां पहुंचेंगे तो उन्हें 200 से 500 लीटर प्रतिदिन पानी चाहिए। लद्दाख उन्हें इतना पानी नहीं दे पाएगा। इसी तरह की तमाम दूसरी विसंगतियां भी लद्दाख में पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि 27 मई को इस संबंध में केंद्र सरकार के साथ उनकी बातचीत होनी है। यदि यह बातचीत उनके पक्ष में नहीं हुई तो लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा। उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि जो स्थितियां लद्दाख में हैं, कामोवेस वही स्थितियां उत्तराखंड में भी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन का साक्षी रहा है। लद्दाख के राज्य आंदोलन की लड़ाई में उत्तराखंड हमेशा उनके साथ रहेगा। उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने बैठक की शुरूआत वांगचुक जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड राज्य संघर्ष को याद किया और कहा कि जिस उद्देश्य के लिए इस राज्य की लड़ाई लड़ी गई थी, वह पूरा नहीं हो पाया। आज उत्तराखंड तमाम तरह की विसंगतियों से गुजर रहा है। राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसके साथ ही यहां की फिजा में सांप्रदायिक और क्षेत्रवाद का रंग घोला जा रहा है, जो इस राज्य के लिए बेहद खतरनाक साबित होने वाला है। श्री वांगचुक ने  लोगों के प्रश्नो के उत्तर भी दिए। बात चीत के बीच में, सतीश धौलाखंडी के गाए जनगीत  ‘ नदी तू बहती रहना ‘ ने लोगों में उत्साह भर दिया। कार्यक्रम में त्रिलोचन भट्ट, निर्मला बिष्ट,  राघवेन्द्र , तुषार रावत, विजय भट्ट, रजिया बेग, हरिओम पाली, आरिफ खान, विजय भट्ट, विजय नैथानी, हेमलता नेगी, सीमा नेगी, हिमांशु अरोड़ा, जया सिंह, हिमांशु चौहान सहित काफी बड़ी संख्या मे लोग मौजूद रहे।

 

 

 

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