3 मई को मनाया जायेगा अक्षय तृतीया का पावन पर्व : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पावन पर्व
3 मई को मनाया जायेगा अक्षय तृतीया का पावन पर्व : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
अक्षय तृतीया पर बन रहे तीन खास योग : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान परशुराम का जन्म होने की मान्यता है। इस साल अक्षय तृतीया 3 मई 2022, मंगलवार को है। अक्षय तृतीया के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज के अनुसार, इस साल अक्षय तृतीया पर तीन खास योग बन रहे हैं।
अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, तैतिल करण और वृषभ राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग के कारण इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। इसके साथ पांच दशक के बाद ग्रहों का विशेष योग बन रहा है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन कुछ चीजों का दान करना बेहद उत्तम माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन और साथ ही पूरे वैशाख मास में जलदान करना शुभ माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से सभी तीर्थों को करने से जो फल प्राप्त होता है, वह केवल जलदान करने से मिलता है। इस दिन किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थान पर जलदान भी किया जा सकता है।
अक्षय तृतीया के दिन वृक्षारोपण करना, राहगीरों के लिए पानी की व्यवस्था करना, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था आदि करने से शुभ फल मिलने की मान्यता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया 2022 पर खरीदारी का मुहूर्त- अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दिन सोने-चांदी के आभूषणों को खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन सोना-चांदी खरीदने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होने की मान्यता है।
अक्षय तृतीया का पर्व तीन मई को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन से त्रेता युग का आरंभ हुआ था, भगवान परशुराम का अवतार भी इसी दिन हुआ। अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण दिन है।
अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग देखने या मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती। अक्षय तृतीया के दिन किया गया कार्य अक्षय रहता है, उसका कभी ह्रास नहीं होता।