9 अगस्त को मनाया जाएगा रक्षाबंधन का पर्व : डाक्टर आचार्य सुशांत राज

डाक्टर आचार्य सुशांत राज

देहरादून। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के वचन का पर्व है, जिसे सावन मास की पूर्णिमा के दिन पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उन्हें जीवनभर रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन अगर इस दिन भद्रा काल का संयोग बन जाए तो त्योहार की शुभता पर असर पड़ता है। मान्यता है कि भद्रा के समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, क्योंकि इसे अशुभ और विघ्नकारी माना गया। पिछले कुछ वर्षों में रक्षाबंधन पर भद्रा के कारण राखी बांधने के समय में बदलाव करना पड़ा था। इस कारण लोग सही मुहूर्त का इंतजार करते हैं ताकि शुभ घड़ी में रक्षासूत्र बांधा जा सके। इस साल भी यही सवाल बना हुआ है कि क्या भद्रा रक्षाबंधन के दिन पड़ेगी या नहीं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि समय से पहले भद्रा की स्थिति और शुभ मुहूर्त की जानकारी ले ली जाए, जिससे रक्षाबंधन पूरे पारंपरिक और शुभ तरीक़े से मनाया जा सके। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा, क्योंकि इसी दिन सावन मास की पूर्णिमा पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इसी अवधि में राखी बांधने का शुभ समय निकलेगा। इस साल रक्षाबंधन पर लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है, क्या इस बार भद्रा लगेगी? क्योंकि भद्रा के दौरान राखी बांधना वर्जित माना जाता है। पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा की तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू हो रही है और उसी समय से भद्रा भी लग जाएगी। यह भद्रा 9 अगस्त की सुबह 1:52 बजे तक रहेगी। हालांकि, यह पाताल लोक की भद्रा मानी जा रही है, जिसका असर कुछ हद तक कम माना जाता है, फिर भी शुभ कार्य के लिए इसके समाप्त होने के बाद ही राखी बांधना बेहतर रहेगा।डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि इस साल रक्षाबंधन के दिन एक अच्छी बात ये है कि भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी। 9 अगस्त को सावन पूर्णिमा के साथ ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा और उस समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। ऐसे में आप पूरी श्रद्धा और शुभ मुहूर्त में राखी का त्योहार मना सकेंगे। शास्त्रों के अनुसार भी रक्षाबंधन को भद्रा रहित समय में ही मनाना सबसे शुभ और फलदायी माना गया है। भद्रा को हिंदू धर्म में अशुभ समय माना गया है, खासकर जब इसका वास पृथ्वी या पाताल लोक में होता है। ऐसे समय में रक्षाबंधन जैसे शुभ पर्व को मनाने से परहेज़ किया जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं और अनचाहे संकट खड़े हो सकते हैं। खासतौर पर अगर रक्षाबंधन पर भद्रा लगी हो, तो बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं बांधतीं, क्योंकि ऐसा करना उनके जीवन में नकारात्मक असर डाल सकता है। हालांकि अगर भद्रा स्वर्ग में हो, तो राखी बांधने में कोई दोष नहीं माना जाता। यही वजह है कि भद्रा की स्थिति जानकर ही रक्षाबंधन का मुहूर्त तय किया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा और राखी बांधने का सबसे शुभ समय सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। इस दौरान कुल 7 घंटे 37 मिनट तक आप भाई की कलाई पर राखी बांध सकते हैं। यह मुहूर्त विशेष रूप से शुभ माना गया है क्योंकि इस दिन भद्रा समाप्त हो चुकी होगी। रक्षाबंधन पर राहुकाल के दौरान राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि इस समय में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है। 9 अगस्त को राहुकाल का समय सुबह 09:07 से 10:47 बजे तक रहेगा। कोशिश करें कि इस अवधि को छोड़कर ही राखी बांधें ताकि भाई की रक्षा और आपके प्रेम का त्योहार पूर्ण रूप से फलदायी रहे।

 

 

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