एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

देहरादून, 28 जुलाई। परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्तोत्र उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज के मंगल सानिध्य में प्रातः 6.15 बजे से जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके पश्चात संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया गया। विधान में उपस्थित भक्तो ने बड़े भक्ति भाव के साथ 23वे तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की। आज के विधान के पुण्यार्जक महिला जैन मिलन प्रगति एवं अशोक जैन सुमन जैन केशव रोड  रहे। पूज्य आचार्य श्री के पास बाहर  से पधारे गुरुभक्तो का पुष्प वर्षायोग समिति द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया। भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति आराधना के दिन आज पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि जिसके जीवन में कोई संघर्ष का ना आया हो, विपत्ति ना आयी हो उसके जीवन में कोई भी निखार भी नहीं आता है। विपत्ति में कमजोर व्यक्ति बिखर जाता है परन्तु मजबूत व्यक्ति निखर जाता है। हम कौन है ये विचार करना, मजबूत है या कमजोर है। अगर हम मजबूत है तो निखरने की चेष्ठा करना परन्तु अगर कमजोर है तो बस एक फूल की तरह है जो सुबह खिलता है शाम को मुरझा जाता हो। फूल कितना भी सुन्दर क्यू ना हो परन्तु कितना कमजोर होता हैं। जिस प्रकार फूल का जीवन बहुत थोडा होता है सुबह को खिला तो शाम तक मुरझा जाता हो ठीक उसी प्रकार हमारा जीवन है कब शाम हो जाए नही पता।

 

 

 

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