आचार्य श्री ने किया नवदिवसीय जिनेन्द्र महाअर्चना का शुभारंभ
एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून स्थित धर्मनगरी माजरा में सकल दिगम्बर जैन समाज देहरादून 31वां श्री पुष्प वर्षा योग समिति 2025 एवं श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर माजरा के संयुक्त तत्वावधान में नवदिवसीय जिनेन्द्र महाअर्चना का शुभारंभ आचार्य श्री 108 सौरभसागर महामुनिराज (संस्कार प्रणेता, ज्ञानयोगी एवं जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणास्रोत) के पावन सान्निध्य में हुआ। श्री जी की शांति धारा करने का सौभाग्य राजीव जैन चकराता डीके जैन वालों को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर श्री जिन सहस्रनाम महामंडल विधान बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ प्रारंभ हुआ। अभिषेक, शांति धारा एवं नित्य नियम पूजन के उपरांत विधान आरंभ हुआ। विधानाचार्य संदीप जैन “सजल” (हस्तिनापुर) के मार्गदर्शन एवं इंदौर के संगीतकार विक्की एण्ड पार्टी, भोपाल की संगीतमय प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया। इस अवसर पर आचार्य श्री सौरभ सागर ने अपने प्रवचन में कहा कि खंडित सुख और अखंड सुख दुनिया का सारा सुख खंड-खंड है। कोई भी सुख हो, वह थोड़ी देर में समाप्त हो जाता है। जब इनकम हो रही होती है तो लगता है कि पैसे में सुख है, लेकिन जैसे ही वह खर्च हो जाए या कोई ले ले, तो वही सुख दुख का कारण बन जाता है। संसार की यात्रा पदार्थ की यात्रा है और इसका स्वभाव संयोग-वियोग से बंधा है। इसीलिए पदार्थजन्य सुख क्षणिक है। परमार्थ की यात्रा भीतरी यात्रा है, जिसमें अखंड सुख का धाम है। जितने भी भीतरी सुख के साधन थे, हमने उन्हें भी पदार्थ की दृष्टि से खंड-खंड कर लिया है। यदि वास्तव में अखंड सुख प्राप्त करना है, तो हमें परमार्थ की ओर, भीतर की ओर यात्रा करनी होगी। गाड़ी का सुख, मकान का सुख, पत्नी का सुख, घूमने का सुख या इनकम का सुख-यह सब क्षणिक है। परमार्थ की यात्रा ही वह मार्ग है, जो हमें क्षणभंगुर सुखों से हटाकर अखंड और शाश्वत आनंद की ओर ले जाती है। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया कोऑर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि आचार्य श्री सौरभ सागर महामुनिराज की आहार चर्या संदीप जैन बड़े गांव वाले द्वारा की गई जिसमें सभी भक्तों द्वारा महाराज श्री को आहार ग्रहण कराया गया। संध्याकालीन बेला में माजरा मन्दिर में संगीतमय गुरुभक्ति ओर महाआरती की गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भक्ति कर आनंद उठाया।
