मारुति 800 को 14 दिसंबर 1983 को भारत में लॉन्च किया गया
संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
देहरादून, 15 दिसंबर। जब 1980 के दशक की शुरुआत में मारुति 800 लॉन्च हुई, तो यह भारत में मध्यम वर्ग के लिए एक किफायती, आधुनिक और प्रतिष्ठित कार थी। उस समय शादियों मे बड़ी-बड़ी गाड़िया नहीं, बल्कि मारुति 800 जैसी छोटी कार शान हुआ करती थी था। और उस समय, यह एक स्टेटस सिंबल मानी जाती थी। शादी समारोहों के दौरान फूलों से सजी-धजी मारुति 800 दुल्हे की पहली पसंद थी। उस समय इस कार का उपयोग करना अमीरी और गर्व की बात थी।
मारुति 800 को 1980 के दशक की शुरुआत में, विशेष रूप से 14 दिसंबर, 1983 को भारत में लॉन्च किया गया था, जो भारत की पहली किफायती और लोकप्रिय हैचबैक कार बनी, जिसे ‘जनता की कार’ कहा गया और इसने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में क्रांति ला दी, जिसमें शुरुआती कीमत करीब लगभग 47,500 (एक्स-शोरूम, दिल्ली) थी, और पहली कार इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारी हरपाल सिंह को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों मिली थी। हरपाल सिंह अपनी इस कार से बहुत प्यार करते थे और इसे परिवार का सदस्य मानते थे; उन्होंने लगभग 27 साल तक इसका रखरखाव किया और इसके साथ कई यात्राएं कीं। यह कार उनके मध्यमवर्गीय परिवार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी और उन्होंने इसे ईश्वर का उपहार माना। 2010 में हरपाल सिंह के निधन के बाद, उनके परिवार ने कार की देखभाल की, लेकिन बाद में मारुति सुजुकी से संपर्क किया ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाया जा सके। कंपनी ने इस ऐतिहासिक कार को अपने कब्जे में लेकर पूरी तरह से बहाल (restore) किया और अब यह मारुति सुजुकी मुख्यालय में प्रदर्शित है, जो आम आदमी के सपनों का प्रतीक है। मारुति 800 के बाजार में आने के बाद पहली बार मिडिल क्लास लोग भी कार लेने के बारे में सोचने लगे और इसकी बुकिंग शुरू होने के बाद सिर्फ दो महीनों में ही 1.35 लाख कारें बुक हो गईं। नतीजा ये हुआ कि लोगों को कार पाने के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट में रहना पड़ा, लेकिन हरपाल सिंह वह लकी व्यक्ति थे, जिन्हें मारुति 800 की पहली कार की चाबी हासिल करने का सौभाग्य मिला। दिल्ली के हरपाल सिंह को 14 दिसंबर 1983 से पहले चंद ही लोग जानते थे, लेकिन इस दिन मारुति 800 की लॉन्चिंग के साथ-साथ हरपाल सिंह को पूरी दुनिया जान गई। दरअसल, मारुति सुजुकी की पहली मारुति 800 कार इंडियन एयरलाइंस के कर्मचारी हरपाल सिंह को ही सौंपी गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कार की चाबी लेते हुए उनकी तस्वीर भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का एक हिस्सा बन गई। हरपाल सिंह ने जो मारुति 800 कार ली थी, उसकी नंबर प्लेट भी खूब लोकप्रिय हुई, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर है- DIA 6479. हरपाल सिंह ने मारुति 800 कार को खरीदने के लिए अपनी फिएट कार को भी बेच दिया था। हरपाल सिंह की मौत 2010 में हुई और 1983 में पहली मारुति 800 कार खरीदने के बाद वह पूरी जिंदगी उसी कार को चलाते रहे। वह मानते थे कि यह कार उन्हें भगवान की कृपा से मिली है, इसलिए उसे कभी नहीं बेचा। उनके बाद वह कार सड़क पर नहीं चली है और ग्रीन पार्क में उनके घर के पास खड़ी जंक खा रही थी। हरपाल सिंह की मौत के बाद उनकी कार कोई नहीं चलाता था, जिसके चलते जंक लगने से वह खराब हो रही थी। सड़क के किनारे खड़ी उनकी कार की तस्वीरें इंटरनेट पर खूब वायरल भी हुई थीं। उसके बाद इस कार को मारुति के सर्विस सेंट्र ले जाया गया और वहां रीस्टोर किया गया। कार को ना सिर्फ बाहर से बल्कि अंदर से भी रीस्टोर किया गया। वैसे तो बहुत सारे लोगों ने इस कार को खरीदने की इच्छा जताई, लेकिन हरपाल सिंह के परिवार ने यह कार नहीं बेची।
मारुति 800 ने भारत के ऑटोमोटिव इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया और 2014 तक उत्पादन में रही, जिसे भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक माना जाता है। मारुति 800 ने भारत में कार संस्कृति को जन्म दिया और ‘मारुति कल्चर’ (अनुशासन, उत्पादकता) की शुरुआत की। यह कार दशकों तक भारतीय सड़कों पर राज करती रही और कई भारतीयों की पहली कार बनी, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्रांति आ गई। मारुति 800 सिर्फ एक कार नहीं थी, बल्कि एक आंदोलन था जिसने भारत के मध्यम वर्ग को गतिशीलता और सपनों की उड़ान दी। यह देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक बन गई और लगभग 30 लाख यूनिट्स बिकीं, जब तक कि 2014 में इसका उत्पादन बंद नहीं हो गया।
संजय गांधी ने एक महत्वाकांक्षी सपना देखा था। दुर्भाग्य से जून 1980 में एक प्लेन क्रैश में संजय गांधी की मौत हो गई, लेकिन मिडिल क्लास के लिए एक सस्ती कार लाने का उनका सपना धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा। तब मारुति उद्योग लिमिटेड के नाम से शुरू हुई कंपनी मारुति सुजुकी ने सबसे सस्ती कार लॉन्च की। ये कंपनी भारत सरकार और जापान की सुजुकी मोटर कंपनी के बीच एक ज्वाइंट वेंचर के तहत शुरू की गई थी। मारुति सुजुकी ने 9 अप्रैल 1983 को कार की बुकिंग शुरू की और महज दो महीनों में ही 8 जून तक करीब 1.35 लाख कारों की बुकिंग हो गई। कंपनी ने अपनी पहली कार को मारुति 800 के नाम से बाजार में उतारा, जिसकी कीमत उस वक्त सिर्फ 52,500 रुपये थी। यह कार ना सिर्फ अपनी कीमत के लिए फेमस हुई, बल्कि इसे चलाना भी आसान था और इसका माइलेज भी उस वक्त की गाड़ियों की तुलना में अच्छा था। इंदिरा गांधी चाहती थीं कि संजय गांधी ने जिस सस्ती कार का सपना देखा है, वह उनकी मौत के बाद भी जिंदा रहे। यही वजह है कि इस कंपनी के लिए सरकार ने कुछ मदद भी मुहैया कराई। वैसे तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि संजय गांधी ने जो सपना देखा था वह कार लोगों के बीच इतनी लोकप्रिय हो जाएगी कि 31 सालों तक बाजार पर छाई रहेगी। आज भी मारुति सुजुकी की कारें लोगों को खूब भाती हैं, लेकिन मारुति 800 कुछ साल पहले 2014 में बंद हो गई। इन 31 सालों में कंपनी ने करीब 27 लाख मारुति 800 कारें बेचीं। उसकी जगह कंपनी ने बाजार में अल्टो 800 उतारी, जिसे भी लोगों का खूब प्यार मिला।
