पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता

संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

फरीदाबाद। गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल एन आई टी तीन फरीदाबाद में जूनियर रेडक्रॉस गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर उनकी राष्ट्र के प्रति समर्पित सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय जैसी विचारधारा पर देश को अग्रसर करने के लिए नमन किया। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय अर्थात अंत्योदय का दर्शन देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देश की एकता और अखंडता के लिए एकात्म मानववाद और अंत्योदय जैसी विचारधारा के लिए देश सदैव ऋणी रहेगा। विद्यालय की जे आर सी एवम ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि कोरोना काल में देश के 80 करोड़ लोगों के फ़्री अनाज देना, किसान सम्मान निधि में अभी तक पौने दो लाख करोड़ की राशि सीधे बैंक खाते में पहुंचाना, 45 करोड़ से अधिक निर्धनों का जनधन खाते खुलवाना, उज्ज्वला के अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन, घर-घर शौचालय का निर्माण, स्वनिधि योजना, आयुष्मान भारत, नल जल योजना आदि के माध्यम से आगे बढ़ रही केंद्र सरकार की सभी गरीबोन्मुख योजनाएं पंडित जी के अंत्योदय के दर्शन से ही निकली हैं. पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि समाज की अंतिम सीढ़ी पर जो भारतीय बैठा हुआ है चाहे वह शोषित हो, दलित हो, पीड़ित हो, वंचित हो, गांव हो, गरीब हो, किसान हो… सबसे पहले उसका उदय होना चाहिए। राष्ट्र को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए समाज को अंतिम सीढ़ी पर ये जो लोग हैं उनका सामाजिक, आर्थिक विकास करना होगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का यही विचार अंत्योदय के मूल का जनक है और इससे ही मोदी सरकार का मूलमंत्र बना है – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय महान चिंतक थे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के दर्शन पर श्रेष्ठ विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्म मानववाद इंटीगरल ह्यूमेनिज्म में साम्यवाद और पूंजीवाद दोनों की समालोचना की है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित कानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है। दीनदयाल उपाध्याय का मानना है कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने सुंदर पेंटिंग बनाने के लिए सभी छात्राओं और सहयोगी स्टाफ सदस्यों का भी आभार व्यक्त किया।

 

 

 

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