उपराष्ट्रपति ने प्रदान किये संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज भारत की पांच हजार  वर्षों से अधिक प्राचीन गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मीडिया का आह्वान किया कि वह हमारी सांस्कृतिक विरासत को पहचाने तथा व्यवस्थित तरीके से हमारे कलाकारों की सुरक्षा, समर्थन और प्रोत्साहन करने की आवश्यकता पर बल दिया। आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत और गौरव को अक्षुण्ण रखने में योगदान करने वाले लोगों को सम्मानित करने पर हर्ष व्यक्त किया।

आज सम्मानित किए गए 75 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों के प्रति हार्दिक प्रशंसा व्यक्त करते हुए, श्री धनखड़ ने प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की उपलब्धियों को मान देने में ऐतिहासिक असमानता पर प्रकाश डाला। कई ऐसे गुमनाम नायकों का जिक्र करते हुए, जिनके योगदान को हाल के वर्षों में पद्म पुरस्कारों के माध्यम से पहचान दी गई है, उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को पुरस्कृत करने में जनता का भारी समर्थन है। अनुभवी कलाकारों को हमारी सांस्कृतिक विरासत का सच्चा रक्षक और वास्तुकार बताते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि उनके अमूल्य योगदान को बहुत पहले ही मान्यता दी जानी चाहिए थी। उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति की शानदार प्रस्तुति की भी सराहना की और विश्वास जताया कि सही नेतृत्व के साथ, भारत 2047 में वैश्विक मंच पर अपने शिखर पर पहुंचेगा।

न्यायमूर्ति अंसारिया के फैसले का हवाला देते हुए, उपराष्ट्रपति ने एक सैनिक और एक प्रोफेसर के बीच हुई बातचीत का जिक्र किया और रेखांकित किया कि जिन व्यक्तियों को आज सम्मानित किया गया है, वे हमारी सांस्कृतिक विरासत के वास्तविक रक्षक हैं। इस अवसर पर विधि और न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा, संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, देश भर के प्रतिष्ठित कलाकार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

 

 

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