एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस
फरीदाबाद। विश्व मानवाधिकार दिवस पर राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सभी से मानवाधिकारों को समझने और जानने के लिए जागरूक किया। जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि ऋग्वेद में सर्वे भवन्तु सुखिनः की ऋचा प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति में मानवाधिकार की उपस्थिति को दर्शाती है। देश में मानव अधिकार के लिए सबसे पहले महात्मा फुले ने आवाज उठाई थी। इस वर्ष का थीम गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय रखा गया है। वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व मानवाधिकार दिवस मनाना प्रारंभ किया था। मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पूर्व प्राचीन काल से ही चली आ रही है व्यवहारिक दृष्टि से इसका प्रारंभ द्वितीय विश्व युद्ध के भयंकर परिणाम के बाद हुआ जब अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अंगीकृत किया। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के लिए चेतना जागृत करने में इस घोषणा का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके पश्चात 1966 की अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाएं, यूरोपीय कन्वेंशंस, सिंगापुर घोषणा पत्र, संयुक्त राष्ट्र चार्ट में निहित घोषणाएं जैसे विधानों ने इस सिद्धांत को और पुष्ट किया। इन में अधिकार के साथ साथ कर्तव्यों की भी चर्चा हुई है जिसमें अधिकार के साथ मनुष्य का उस समुदाय के प्रति कर्तव्य है ताकि उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का उन्मुक्त विकास हो सके। अधिकारों की श्रृंखला में मानवाधिकार को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हमारे पास इसलिए हैं क्योंकि हम मानव है वे किसी भी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किए गए हैं राष्ट्रीयता लिंग, मूल, रंग, धर्म, भाषा, या किसी अन्य जातीय भेदभाव किए बिना ये सार्वभौमिक अधिकार हम सभी के लिए प्रकृति प्रदत्त हैं। सैद्धांतिक तौर पर इन अधिकारों का अतिक्रमण विश्व के किसी भी देश या किसी भी सरकार के द्वारा नहीं किया किया जाना चाहिए। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की अंतर्निहित भावना यह है कि सभी मनुष्य स्वतंत्र पैदा होते हैं और उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और व्यक्ति की सुरक्षा, कानून के समक्ष समानता और कानून की समान सुरक्षा और विचार, विवेक, धर्म, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। मानवाधिकारों के संरक्षण को महत्व देने की यह भावना भारत के संविधान में भी अंतर्निहित है जिससे मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 को भी बल मिलता है। उन्होंने मानवाधिकारों पर जागरूकता के लिए सभी स्टाफ सदस्यों का एवम विद्यार्थियों का पोस्टर जागरूकता के लिए अभिनंदन किया।