एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

देहरादून 14 जुलाई। परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्तोत्र उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज के मंगल सानिध्य में आज प्रातः 6.15 बजे से जिनेन्द्र भगवान् का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी। इसके पश्चात संगीतमय कल्याण मंदिर विधान का आयोजन किया गया। विधान मे उपस्थित भक्तो ने बड़े भक्ति भाव के साथ 23वे तीर्थंकर चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ की आराधना की। आज के विधान के पुण्यार्जक महिला जैन मिलन रही। भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति आराधना के आज तीसरे दिन पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन मे कहा कि हमें चीज़ो का अहसास नही होता है लेकिन एहसान जरूर होता है। कोई एहसान करता है तो कभी भूलो मत और कदाचित किसी से कोई गलती हो जाए तो उसके दुख के क्षणो में पुरानी बातो को याद दिलाकर उसको एहसास मत कराओ कि तुम तो गलत हों। जिन दिन अहसान और एहसास का इतना अंतर आपके भीतर आ जायेगा तो सुख या दुःख आपके जीवन मे आए तो आपको ना तो सुख या मे प्रसन्ता होगी और ना कोई दुःख होगा। हे प्रभु मेरे जीवन मे इतनी शक्ति दे दो कि मै किसी का कृतज्ञ तो बन सकू लेकिन कृतघ्न ना बनु। क्युकी कृतघ्न व्यक्ति अपना भी नुक्सान करता है तो मित्र का भी नुक्सान करता है।

 

 

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