हीरो पुच 90 के दशक की यादों और किफायती सफर का प्रतीक थी

संदीप गोयल/एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

देहरादून, 19 दिसंबर। हीरो पुच Hero Puch मोपेड सिर्फ़ एक दोपहिया वाहन नहीं, बल्कि एक पूरे दौर की पहचान है। 80–90 के दशक में जब सड़कों पर कम गाड़ियाँ होती थीं, तब हीरो पुच अपनी अलग ही शान के साथ नज़र आती थी। इसकी सीधी-सादी बनावट, लंबी सीट, पीछे लगा कैरियर और मजबूत फ्रेम इसे रोज़मर्रा के कामों के लिए भरोसेमंद साथी बनाते थे। हीरो पुच (Hero Puch) 1990 के दशक में भारत की एक बेहद लोकप्रिय मोपेड थी, जिसे हीरो मोटोकॉर्प ने ऑस्ट्रियाई कंपनी से टेक्नोलॉजी लेकर बनाया था, यह अपने किफायती दाम, शानदार माइलेज (91 किमी/लीटर तक) और ऑटोमैटिक क्लच (गियरलेस) सिस्टम के कारण छात्रों और आम लोगों में खास तौर पर मशहूर हुई थी, और 2000 के दशक की शुरुआत (2003) तक इसका प्रोडक्शन चला, जो कि उस दौर की एक यादगार सवारी थी। इसमें 65 सीसी का छोटा, एयर-कूल्ड, टू-स्ट्रोक इंजन होता था। इसमें ऑटोमैटिक सेंट्रीफ्यूगल क्लच और टू-स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन होता था, जिससे गियर बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। यह अपनी बेहतरीन माइलेज (लगभग 91 किमी/लीटर) के लिए जानी जाती थी, जो इसे बहुत किफायती बनाती थी। यह स्टाइलिश, हल्की और भरोसेमंद थी, खासकर कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए पहली पसंद थी।  यह टीवीएस एक्सेल के बाद सबसे लोकप्रिय मोपेड्स में से एक थी और कई लोगों की पहली गाड़ी बनी। हीरो ने इस मॉडल की टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रिया की पूच कंपनी से खरीदी और भारत में हीरो पुच के नाम से लॉन्च किया। 90 के दशक में इसने धूम मचा दी, खासकर उन लोगों के लिए जो कम खर्च में भरोसेमंद और आसान सवारी चाहते थे। 2003 के आसपास इसका प्रोडक्शन बंद हो गया, लेकिन आज भी कई लोग इसे याद करते हैं और अपने अनुभवों को साझा करते हैं। हीरो पुच सिर्फ एक मोपेड नहीं, बल्कि 90 के दशक की यादों और किफायती सफर का प्रतीक थी, जिसने लाखों भारतीयों को गतिशीलता दी।

 

 

 

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