कर्ण मंदिर अलकनंदा और पिंडर नदी के पवित्र संगम पर स्थित

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

चमोली। कर्णप्रयाग कर्ण की कर्मभूमि महाभारत के प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है। कर्ण मंदिर अलकनंदा और पिंडर नदी के पवित्र संगम पर स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली के कर्णप्रयाग शहर में स्थित है। पवित्र मंदिर महाभारत के एक पौराणिक चरित्र को समर्पित है, जो कर्ण था। उन्हें व्यापक रूप से पांडवों के भाई-बहनों में सबसे धर्मी और धर्मार्थ माना जाता है। इसी स्थान पर कर्ण ने सूर्य देव (अपने पिता) को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी और स्वयं “देवता द्वारा उन्हें अभेद्य कवच प्रदान किया गया था। तभी से इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पड़ा। कर्णप्रयाग उत्तराखंड में पांच श्रद्धेय नदी संगमों (पंच प्रयाग) में से एक है। कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम होता है, जिसे कर्णप्रयाग संगम के नाम से जाना जाता है ।

 

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