श्लोक उच्चारण कर मनाया गीता महोत्सव

एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस

फरीदाबाद। शिक्षा विभाग के आदेशानुसार श्रीमद्भगवद्गीता जयंती महोत्सव के अंतर्गत राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में रंगोली सजाई और सामूहिक श्लोक उच्चारण किया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्रिंसिपल रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि विद्यालय की बालिकाओं ने संस्कृत अध्यापक धर्मपाल के साथ सामूहिक रूप से श्रीमद्भगवद्गीता के शलोकों का उच्चारण किया। इस से पूर्व विद्यालय की प्राध्यापिका गीता ने जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमति मुनेश चौधरी के आदेशानुसार कन्वेंशन हाल फरीदाबाद में रंगोली सजाई और विद्यालय के विद्यार्थियों और अध्यापकों ने रंगोली बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग किया। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि जिला स्तरीय श्रीमद्भगवद्गीता जयंती महोत्सव में विद्यालय की बालिकाओं ने हुड्डा कन्वेंशन हाल में रंगोली सजाने, सामूहिक श्लोक उच्चारण सहित अन्य गतिविधियों में भी प्रतिभागिता की। सराय ख्वाजा फरीदाबाद विद्यालय में भी विद्यार्थियों ने गीता जयंती के अवसर पर श्लोकोच्चारण, निबंध लेखन तथा संवाद द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं को जीवन शैली में आत्मसात करने के लिए आग्रह किया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में हमें जीवन की सभी समस्याओं का समाधान मिलता हैं। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन दर्शन है तथा हमें आदर्श जीवन जीने के लिए मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से अधिक जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी जनमानस का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। गीता विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष के ऋषियों ने गहन विचार के पश्चात जिस ज्ञान को आत्मसात किया उसे उन्होंने वेदों का नाम दिया। इन्हीं वेदों का यह भाग उपनिषद कहलाता है। मानव जीवन की विशेषता मानव को प्राप्त बौद्धिक शक्ति है और उपनिषदों में निहित ज्ञान मानव की बौद्धिकता की उच्चतम अवस्था तो है ही अपितु बुद्धि की सीमाओं के परे मनुष्य क्या अनुभव कर सकता है उसकी एक झलक भी दिखा देता है। अतः हम सभी को दैनिक जीवन में निस्वार्थ भाव में कर्म करते रहना चाहिए।

 

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